Skip to main content

Posts

Showing posts from September, 2012

"मेरी व्यथा-कथा"

दो दिन पहले की बात बताऊँ, सबको अपनी व्यथा सुनाऊं,, हम बाल कटाने गए दुकान, भरपूर दिया नई ने सम्मान,, बोला-"बैठो भाई जान, किस तरह होगा कटिंग का काम,," हमने बोला-"करो उस-तरह, पहले कटवाए थे जिस तरह,," वो ससुरा कुछ अनपढ़ ठहरा, था शायद एक कान से बहरा,, उस-तरह को समझ उस्तरा, सर पे मेरे फेर दिया उस्तरा,, अब गंजे होकर लौटे हैं, और चादर तान के सोते हैं,, तब तक शकल किसे दिखलायें, जब तक बाल ये उग न जाएँ..!! By-( Doc Ravi Pratap Singh )

"एक बेटी"

बड़ी मन्नतों के बाद किसी के, घर में आती है एक बेटी, कभी मुस्काकर कभी तुतलाकर, रौनक फैलाती है एक बेटी,, फ्रॉक पहन माथे पर बिंदी, छम-छम करके चलती बेटी, पल भर में सब तोड़ खिलौने, घर-घर खेला करती बेटी,, माँ-बाबा दादा-दादी की, सबकी यही चहेती बेटी, रोज़ नए खेलों से अपने, सपने कई दिखाती बेटी,, कब ये वक़्त फिसल जाता है, पढने जाने लगती बेटी, राजकुमार मिलने के सपने, दिल में सजाने लगती बेटी,, पिता की चिंता बढ़ जाती है, घर में एक सायानी बेटी, माँ-बाबा की इज्जत अरमानो को,रखे संजो के रानी बेटी,, पिता करे वादा बेटी से, अपने से अच्छा घर ढूढेंगे, माँ दिलासा देती है कह कर, सौ में एक अनोखा वर ढूढेंगे,, होत दिखाई जब बेटी की, नहीं पसंद आने का डर, पसंद अगर आ भी जाये तो, मांग बड़ी होने का डर,, सभी डरों से मुक्त होते ही, बहू किसी की बन जाती बेटी, बाबुल का घर छोड़ के अब तो, नया घरोंदा बनाती बेटी,, दूजे के घर को अपना करने, लेके विदा चली जाती बेटी, घर सूना है द्वार है सूना, यादो में रह जाती बेटी,, वक़्त के साथ बदलता पहलु, पिता जी नाना बन जाते, वही चहल-पहल फिर आती है, जब बेटी संग आती बेटी..!! By-( Doc Ravi Prata

आँसू रिश्ते और ख्वाब....

प्रिय मित्रों,  आँसू रिश्ते और ख्वाब,, टूटते हैं लेकिन छूटते नहीं..!! वो जो दर्द दफ़न किया था, दिल की गहरी खाइयों में,, आज फिर दिखने लगा है, मेरी ही परछाइयों में..!! एक सच जो न पिया जाता है, न उगला जाता है,, लाख रोकने के बावजूद, गले तक चला आ जाता है..!! आज फिर से ये लावा बनकर उबल रहा है,, सुनामी की लहरों की मानिंद मचल रहा है..!! फिर वही वीरान रातें आ खड़ी हैं उजाले की आस में,, फिर वैसे ही भटक रहा हूँ एक नींद की तलाश में..!! फिर ये कमीना दिल दोगला हो गया है,, प्यार बाँटते-बाँटते शायद खोखला हो गया है..!! कभी तो मीठे आश्वासनों से मुझे तसल्ली देता है,, और कभी-कभी कमबख्त सब सच उगल देता है...!! माँ, आज फिर तेरे प्यार की दरकार है,, तुझसे दो बूँद भी मिले तो स्वीकार है..!! ये तेरा प्रेम ही तो है.. जिसने हर हालात में जीना सिखा दिया, घाव कैसा भी हो, उसे सीना सिखा दिया..!! ये तेरा प्रेम ही तो है.. जिसने मेरी रूह को मुझसे मिला दिया, मेरी रूकती हुयी साँसों को फिर से चला दिया..!! जानता हूँ मजबूरी तेरी, पर यूँ न मुझपर कहर बरसा,, मुझसे चाहे बात न कर, पर प्यार के लिए और मत तरसा...!!

आंसू

आज मैंने अपने आंसुओं को बहुत समझाया, "क्यों भरी महफ़िल में तुमने फिर मुझे सताया,, अच्छे लगते हो तुम जब भी तन्हाई में आते हो, लेकिन भरी महफ़िल आकर मेरा मजाक क्यों बनाते हो,,!!" इसपर तड़पकर आंसुओं ने भी मुह खोला, थोडा सिसकते हुए एक आंसू बोला.. "हर वक़्त भावना-विहीन लोगों से घिरे रहना, शोभा नहीं देता ऐसी भीड़ को महफ़िल कहना,, आप अपना समझकर लोगों को जब व्यथा बताते हैं, लोग उसे मनोरंजन समझकर तालियाँ बजाते हैं,, ऐसी महफ़िल में जब भी आपको तनहा पाते हैं, ना चाहते हुए भी आपके पास चले आते हैं..!!" By- ( Doc Ravi Pratap Singh )