Skip to main content

Posts

Showing posts from June, 2011

मिल गया भ्रष्टाचार..

हमारे लाख मना करने पर भी हमारे घर के चक्कर काटता हुआ मिल गया भ्रष्टाचार.. हमने डांटा : नहीं मानोगे यार तो बोला : चलिए आपने हमें यार तो कहा अब आगे का काम हम सम्भाल लेंगे आप हमको पाल लीजिए आपके बाल-बच्चों को हम पाल लेंगे ... हमने कहा : भ्रष्टाचार जी! किसी नेता या अफ़सर के बच्चे को पालना और बात है इन्सान के बच्चे को पालना आसान नहीं है वो बोला : जो वक्त के साथ नहीं चलता इंसान नहीं है मैं आज का वक्त हूँ कलयुग की धमनियों में बहता हुआ रक्त हूँ कहने को काला हूँ मगर मेरे कई रंग हैं दहेज़, बेरोज़गारी, हड़ताल और दंगे मेरे ही बीस सूत्री कार्यक्रम के अंग हैं मेरे ही इशारे पर रात में हुस्न नाचता है और दिन में पंडित रामायण बांचता है मैं जिसके साथ हूँ वह हर कानून तोड़ सकता है अदलत की कुर्सी का चेहरा चाहे जिस ओर मोड़ सकता है उसके आंगन में अंगड़ाई लेती है गुलाबी रात और दरवाज़े पर दस्तक देती है सुनहरी भोर उसके हाथ में चांदी का जूता है जिसके सर पर पड़ता है वही चिल्लाता है वंस मोर वंस मोर वंस मोर इसलिए कहता हूँ कि मेरे साथ हो लो और बहती गंगा में हाथ धो लो हमने कहा : गटर को गंग

गिरफ्तारी मेरे देश की...

मेरा देश यारों देखो ऐसे गिरफ़्तार हो गया,,, भ्रष्टाचार के हाथों ईमान गिरफ़्तार हो गया... कौन भारतीय नेता नहीं है भ्रष्टाचारियों में,,, इस सवाल पर हर जवाब गिरफ़्तार हो गया... कोशिशें तो की थी वैसे मैंने जमाने भर की,,, भूली बिसरी यादों में मगर गिरफ़्तार हो गया... वक्त की बात है ये एक है और वो एक था,,, वक्त के हाथों मैं यूँ ही गिरफ़्तार हो गया... ले के तो गया था रवि भी भाले बरछे तीर,,, रामलीला की गलियों में बाबा के साथ मैं भी गिरफ़्तार हो गया..........!!!